गुना। बजरंगगढ़ स्थित शांतिनाथ दिगंबर जैन पुण्योदय अतिशय तीर्थक्षेत्र मंदिर की प्राचीन शांतिनाथ, अरहनाथ एवं कुंथु भगवान की प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक गुरुवार को भक्तिभाव और हर्षोल्लास से संपन्न हुआ। जैन धर्म के 16 वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ के जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक के विशेष मौके पर यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस मौके पर भगवान का महामस्तकाभिषेक करने गुना के अलावा आरोन, बजरंगगढ़, राघौगढ़, रुठियाई सहित आसपास से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इसके पूर्व प्रात: ब्रह्मचारी प्रदीप भैयाजी के निर्देशन में नित्यमय अभिषेक, पूजन, महामस्तकाभिषेक हुआ। वहीं विश्वशांति की भावना से मूलनायक भगवान शांतिनाथ की शांतिधारा हुई।
कमेटी अध्यक्ष एसके जैन एवं महामंत्री प्रदीप जैन ने बताया कि भगवान का प्रथमाभिषेक जिनेन्द्र कुमार संजय जैन, ज्ञानीचंद अशोक कुमार जैन, संतोष कुमार सचिन जैन, शिखरचंद संजय जैन, एसके जैन, अरूण कुमार रिषीराज जैन द्वारा किया गया। वहीं विश्वशांति की भावना से भगवान की शांतिधारा विजय कुमार उत्सव जैन, मोहित प्राशी जैन, रमेशचंद अखिेलश जैन, बाबूलाल पवन जैन, राजमल महावीर जैन, आलोक मडवरिया उदित मडवरिया, राजकुमार जैन ने की। जबकि भगवान का निर्वाण लाडू एसके जैन, अमित जैन, पदमा जैन, शिल्पा अजित जैन, प्रकाशचंद प्रमोद जैन ने चढ़ाया।
उल्लेखनीय है कि लगभग 900 वर्ष प्राचीन भगवान शांतिनाथ की 18 फुट की उतंग प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक वर्ष में दो बार ही आयोजित होता है। यह प्रथम महामस्तकाभिषेक नववर्ष को एवं द्वितीय महामस्तकाभिषेक ज्येष्ठ शुक्ल चौदस को भगवान शांतिनाथ के जन्म, तप और मोक्ष कल्याण के विशेष मौके पर आयोजित होता है। जैनाचार्य विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज की प्रेरणा से यहां प्रतिवर्ष नूतन वर्ष के स्वागत बेला में भगवान का महामस्तकाभिषेक होने की परंपरा शुरू करवाई गई थी। इसके अलावा मंदिर पर प्रतिदिन मूलनायक भगवान का चरणाभिषेक एवं भगवान की शांतिधारा में सैकड़ों श्रद्धालु गुना, आरोन से पहुंचते हैं। इसके लिए मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से सात दिनों के सात मंडल बनाए गए हैं। क्रमश: गुना एवं आरोन से प्रात: निर्धारित समय पर अभिषेक रथ के रूप में बसें बजरंगगढ़ की ओर प्रस्थान करती हैं।