जिला शिक्षा अधिकारी सिसोदिया बोले लिखित में शिकायत दोगे तो होगी कार्रवाही
गुना । गांव, शहर, प्रदेश सहित दुनिया के शिक्षण संस्थान जहां बच्चों को ज्ञानरूपी शिक्षा देकर संस्कारिक, व जीवन में कुछ कर गुजरने के लायक बनाया जाता है।
जिन्हें हम गुरुजी के नाम से जानते है।
मगर आज के इस बदलते दौर में अब शिक्षा “शिक्षा” नहीं प्राइवेट स्कूल व्यवसायिक संस्थानों का रूप ले चुके है।
अब प्राइवेट स्कूल शिक्षा के नाम से नहीं, बल्कि पढ़ाई के नाम पर किसी भी तरह से बच्चों के पलकों को लूटने बाले संस्थानों के नाम से जाना जाने लगे है।
वहीं प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा हुआ है।
और प्रशासन की नाक के नीचे नियम कायदों को ताक पर रखकर पढ़ाई के नाम पर जमकर लूट खसोट का कारोबार जमकर चल रहा है।
बेलगाम होते प्राइवेट स्कूल संचालकों ने नियम धरे ताक पर, जिनकी मनमर्जी के आगे प्रशासन हुआ नतमस्तक
शहर में प्राइवेट स्कूल संचालकों की मनमर्जी इस कदर चरम पर है कि इनके द्वारा सारे नियम कानूनों को ताक पर रखकर प्रशासन की नाक के नीचे नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
जहां बच्चों की किताबें, कॉपियां, दो दो – तीन तीन ड्रेस सहित अनाप-शनाप दामों पर हल्के घटिया किस्म के टाई बेल्ट मनमाने दामों पर बिना किसी संशोधन के बच्चों के माथे मड़े जा रहे हैं।
जहां महज 40/- रु. कीमत का आई कार्ड 200/- रु. में दिया जा रहा है।
मध्यम वर्ग के बहुत सारे परिवार ना जाने कैसे अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
जोकि बात बात पर इन प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा वसूली जाने वाली अनाप-शनाप राशि ने उनकी कमर तोड़ कर रख दी है। हर मां बाप का सपना होता है कि वह अपने बच्चों को अच्छी सी अच्छी शिक्षा दे सके। अगर हम अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाएंगे तो क्या प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा उन्हें इसी तरह से लूटा जावेगा ?
नियमों का उल्लंघन करने पर प्रशासन के पास इनके खिलाफ कार्यवाही करने के अधिकार तो हैं मगर जाने क्या मजबूरी है जिसके चलते शिकायत करने के बाद भी प्रशासन के अधिकारी इनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाते।
शिकायत की बात भी नहीं होती कार्यवाही, क्या मिलीभगत से सब काम चल रहा है ?
प्राइवेट स्कूल संचालकों के द्वारा सरेआम नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।
इनके खिलाफ आवाज उठाने पर जिला प्रशासन के साथ राजधानी में बैठे आला अधिकारीयों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर संचालित होने वाले प्राइवेट स्कूल संचालकों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
इसको देखकर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अफसरों व नेताओं की मिलीभगत से इनकी तानाशाही चरम पर है।
गुना शहर में संचालित हाई प्रोफाइल नामी स्कूलों में आला अधिकारियों के बच्चे भी पढ़ने जाते हैं शायद यही कारण है कि प्राइवेट स्कूल संचालकों पर शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
यह प्रशासन की मजबूरी है या फिर जान-बूझकर कार्यवाही ना करने की मनसा इसे क्या माना जाए ?
लिखित में शिकायत दोगे तो होगी कार्यवाही :- जिला शिक्षा अधिकारी सिसोदिया
गुना में जिला शिक्षा अधिकारी का दायित्व निभा रहे श्री चंद्रशेखर सिसोदिया से प्राइवेट स्कूल संचालकों की अनियमितताओं को लेकर कई बार शिकायतें की गई, मगर उनके द्वारा शिकायत के संज्ञान में आने के बाद ही स्कूल संचालक के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
कई बार लिखित में भी शिकायत दर्ज की गई बावजूद इसके कोई कार्यवाही नहीं की गई।
जहां तक जिला शिक्षाअधिकारी शिकायत करने की बात है तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ना ही वह इन शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए अपने मनमाफिक अंदाज में संचालित होने वाले इन प्राइवेट स्कूल संचालकों पर कोई कड़ी कार्यवाही करते हैं।
आखिर यह सब क्या हो रहा है किसकी सह से हो रहा है, और यह कब तक चलेगा, क्या इन पर लगाम लगेगी ?
इसको प्रशासन की मजबूरी कहें या कुछ और, जिसके चलते शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
इनका कहना है :-
स्कूलों में 200/- रुपए में आई कार्ड वितरण किए जाने की शिकायत संज्ञान में आई है, यह गलत है, मैं अभी फोन पर उन्हें फटकार लगाता हूं।
कार्यवाही की बात पूछे जाने पर इनका कहना है कि आप लिखित में शिकायत दे दीजिए मैं कार्यवाही करवा दूंगा। इनकी फाइल बनती है जो कि कलेक्टर साहब को भी बताना पड़ती है।
लिखित में शिकायत करने के बाद भी कार्यवाही ना होने की बात पूछे जाने पर बताया कि मिलने के बाद बात की जाऐगी ।
चंद्रशेखर सिसोदिया
जिला शिक्षा अधिकारी
गुना (म. प्र.)