गुना । 2 हजार रूपऐ दो और वन अधिकार लो जी हां सही सुना आपने कुछ ऐसा ही वाक्य आज सोशल मीडिया पर एक वीडियो के माध्यम से सामने आया है जहां एक वनरक्षक गरीब आदिवासी लोगों से वन अधिकार के नाम पर 2 हजार रुपऐ की मांग करता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है । शारदा एक्सप्रेस वायरल वीडियो की सत्यता की पुष्टि नही करता है । गुना वनमंडल में लगातार हो रही अवैध कटाई , अतिक्रमण की खबरे लगातार शारदा एक्सप्रेस न्यूज के द्वारा प्रकाशित की जाती रही है किन्तु जिम्मेदार वनाधिकारियों के द्वारा अपने चहेते वनकर्मियों पर कार्यवाही न करना आज वन विभाग पर इतना हावी हो चुका है कि वनों के रक्षक ही भक्षक बने हुए है । वही ताजा मामला व्हाट्सप्प ग्रुप में वायरल हो रही वीडियो का है जो गुना रेंज की सबरेंज खेरिखता की बताई जा रही है । जहाँ पदस्थ वनरक्षक जो कि बीट ख़ैरिखता पर पदस्थ है वह वनों में रहने बाले आदिवासी समुदाय के लोगों से वनाधिकार देने के नाम पर दो दो हजार रुपये की की रिश्वत लेते हुए दिखाई दे रहा है वही वीडियो में उक्त वनरक्षक अपने वरिष्ठ अधिकारी के नाम पर पैसे लेकर उनको भी अपशब्द कहते हुए सुना जा सकता है मामले में वनरक्षक के द्वारा 1500 नगद एवम 500 शाम को लेने की बात सुनाई दे रही है ।
पूर्व से विवादित रहा है कार्यकाल – सूत्रों की माने तो उक्त वनरक्षक पास के ही ग्राम का रहने बाला है जिसके द्वारा पूर्व में भी पैसे लेकर सेंकडो बीघा जमीन पर अवैध तरीके से अतिक्रमण कराया गया था वही सूत्रों की माने तो बीट ख़ैरिखता में लगातार अवैध कटाई ओर अतिक्रमण की घटनाएं बढ़ रही है ।
परिक्षेत्र सहायक की भूमिका भी सन्दिग्ध – बीट में वनकर्मी के द्वारा पैसे मांगने व अवैध गतिविधियों के लगातार सामने आने के बाद भी परिक्षेत्र सहायक के द्वारा वरिष्ठ तक सूचना न करना व कार्यवाही न करना भी लापरवाही दिखाता है वायरल वीडियो मामले में सबरेंज ख़ैरिखता की सभी बीटों की जांच वरिष्ठ स्तर से की जाकर लापरवाह वनकर्मियों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए ।
पंचायत मंत्री की विधानसभा का है मामला – ज्ञात हो कि वायरल वीडियो ख़ैरिखता सबरेंज का है जो कि पंचायत मंत्री श्री सिसोदिया का विधानसभा क्षेत्र है जो कि अपनी विधानसभा में वनभूमि पर वनवासियों को उनके हक के लिए हमेशा अग्रणी रहे है ।
शर्मशार करने बाली घटना – आज वायरल वीडियो से वन विभाग शर्मसार है जिस वन विभाग के मंत्री आदिवासियों के विकास की बात करते है उन्हें वनाधिकार देने की बात करते है उसी वन विभाग के वनकर्मी के द्वारा इस तरह से गरीब लोगों की कमाई को चूना लगाकर भ्रष्टाचार करना कहि न कही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को खुली चुनौती पेश करना है अब देखना होगा कि वन विभाग के आला अधिकारी ऐसे संलिप्त वनकर्मियों पर क्या कार्यवाही करते है ।